अनुनाद सिंह
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'* मुस्कान, चेहरे का वास्तविक शृंगार है। * सादगी से बढ़कर कोई शृंगार नहीं। * आंशिक संस्कृति शृंगार की ओर दौड़ती है, अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर। -- बोबी' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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