अनुनाद सिंह
सम्पादन सारांश नहीं है
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': ''एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्ते च साधुना। : ''आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी॥ : जिस प्रकार अकेला चन्द्रमा रात की शोभा बढ़ा देता है, ठीक उसी प्रकार एक ही विद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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