अनुनाद सिंह
सम्पादन सारांश नहीं है
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'* अस्थिरं जीवितं लोके ह्यस्थिरे धनयौवने । : ''अस्थिराः पुत्रदाराश्च धर्मः कीर्तिर्द्वयं स्थिरम् ॥ : इस अस्थिर जीवन/संसार में धन, यौवन, पुत्र-पत्नी इत्यादि सब अस्थिर है...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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