अनुनाद सिंह
→इन्हें भी देखें
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सम्पादन सारांश नहीं है
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D.Peter
स्वच्छ
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Rajkumar12324565
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' * ''कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।'' (गीता) : अर्थ : कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, कभी भी फल में नहीं। * सकल पदरथ एहि जग माँही । करमहीन न्र पावत नाहीं॥ : अर्थ : इसी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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