नम्रता
(विनय से अनुप्रेषित)
- अभिमान की अपेक्षा नम्रता से अधिक लाभ होता है। -- भगवान गौतम बुद्ध
- जो विनम्र है, वही जगत विजयी है। -- आचार्य चाणक्य
- नम्रता, प्रेमपूर्ण व्यवहार तथा सहनशीलता से मनुष्य तो क्या देवता भी तुम्हारे वश में हो जाते है। -- लोकमान्य तिलक
- नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण हैं। -- स्वामी विवेकानंद
- आदर पाने के लिए मनुष्य को पहले विनम्र बनना पड़ता है। -- नीतिवचन
- विनय पात्रता प्रदान करती है। -- हितोपदेश
- नम्रता पत्थर को भी मोम कर देती है। -- मुंशी प्रेमचंद
- दुःख और हानि सहने के बाद आदमी अधिक नम्र और ज्ञानी होता है। -- बैंजामिन फ्रैंकलिन