रवीन्द्र प्रभात
रवीन्द्र प्रभात हिंदी के प्रमुख साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित तीन उपन्यासों क्रमश: "ताकि बचा रहे लोकतन्त्र", "प्रेम न हाट बिकाय", "धरतीपकड़ निर्दलीय", एक कविता संग्रह "स्मृति शेष", दो गजल संग्रहों "हमसफर" और "मत रोना रमज़ानी चाचा" सहित प्रकाशित दस पुस्तकों में से अनेक पंक्तियाँ सुभाषित बन गई हैं।
स्मृति शेष
सम्पादनदरअसल आदमी
नहीं रह गया है आदमी अब
उसी प्रकार जैसे-
ख़त्म हो गई समाज से सादगी
आदमी भी ख़त्म हो गया
और आदमीयत भी....!
- -स्मृति शेष (कविता संग्रह), कथ्यरूप प्रकाशन, 2002.
मत रोना रमज़ानी चाचा
सम्पादनकिसी दरिया, किसी मझदार से नफ़रत नहीं करता।
सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता।।
यक़ीनन शायरी का इल्म जिसके पास होता वह
किसी नुक्कड़, किसी किरदार से नफ़रत नहीं करता।
- -मत रोना रमज़ानी चाचा (गजल संग्रह), काव्यसंगम प्रकाशन, 1999.
ताकि बचा रहे लोकतन्त्र
सम्पादन- "जबतक समाजवादी व्यवस्था नहीं आती तबतक दलितों में आर्थिक विषमता बनी रहेगी ।"
- ‘हम दलितों का अपना अलग संसार है ताहिरा जी। हम उस संसार को ही सब कुछ समझते हैं, शिक्षा की कमी के कारण। ..आवश्यकताएँ अतिन्यून। देशकाल, परिस्थिति, राजनीति से कुछ भी लेना-देना नहीं। वस्त्र के नाम पर विहीटी और आश्रय के नाम पर चार हाथ जमीन। स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बीत जाने के बाद भी हम नंगे, भूखे, भूमिहीन।’
- 'अरे हम हरिजन हैं तो क्या हुआ, हैं तो इंसान ही न। लोकतंत्र में उन्हें मनमानी करने की छूट और हमें अपने ढंग से जीने का अधिकार भी नहीं, क्यों ? समाज से घृणा……….घृणा……… कब होगा इस घृणा का अंत।'
- ‘सबको रोटी, सबको कपड़ा, सबको मिले मकान, तब हम खुलकर कह पायेंगे, ‘भारत मेरा महान’
प्रेम न हाट बिकाय
सम्पादन- लगाव, दोस्ती, इश्क, ममत्व और भक्ति हमारी पाँच उँगलियाँ है, जो जीवन की मुट्ठी को मजबूत करती है। किसी कठिनाई और समाधान के बीच उतनी ही दूरी है, जितनी हमारे घुटनों और फर्श में है। जो घुटनों को मोड़कर सजादे में झुकता है, वह हर मुश्किल का सामना करने की शक्ति पा लेता है। इसी को प्रेम कहा गया है।
- प्रेम एक ऐसा ऐसा भाव है जो व्यक्ति को हर जटिल से जटिल स्थिति से निपटने की ताकत देता है।
- -प्रेम न हाट बिकाय (उपन्यास), हिन्द युग्म, 2012.
धरतीपकड़ निर्दलीय
सम्पादन- चांदी के जूते की खनक से अच्छे-अच्छे हिल जाते हैं, जिसे चांदी के जूते खाने की आदत पड़ जाती है, उसे बढ़िया से बढ़िया पकवान भी नहीं भाता।
- जो मत और मत पेटियां लूट नहीं सकता, वो नेता नहीं बन सकता।
- चौपाल नेता बनने का पहिला माध्यम है । एक बार चौपाल चटकी तो समझो बैतरनी पार.... छपाक से ।
- सुरा और सुंदरी के बिना यदि महान नेता इस वातावरण में जीवित रहने का प्रयास करेगा तो इसके दबाव को सह नहीं पाएगा। क्योंकि सुरा महान नेता के भीतर कुछ करने का जोश भरती है और किसी भी तरह का निर्णय लेने की ताक़त पैदा करती है। नेता यानि समर्थ ।
- विज्ञापन में गन्दी कमीज को उजला करने का रास्ता बताया जाता है और राजनीति में साफ़ कमीज को गंदा करने के रास्ते तलाशे जाते हैं।
- -धरती पकड़ निर्दलीय (उपन्यास), हिन्द युग्म, 2012.
अन्य
सम्पादन- दुनिया को देख पाना एक सुखद आश्चर्य है, मगर उससे भी बड़ा आश्चर्य है अपने भीतर मौजूद असीमित संभावनाओं को देखना, जिससे दुनिया को खूबसूरत बनाया जा सके।
- हमारे पास सुनने की क्षमता है। हम बादलों के अट्टहास सुन सकते हैं, चिड़ियों के कलरव भी। हम दुनिया को भी सुन सकते हैं और मन की आवाज़ भी। मगर अद्भुत है मन की आवाज़ सुनना।
- यदि कोई दुखी है, पीड़ित है और उसके कंधे पर हाथ रख दिया जाये, तो निश्चित रूप से उसकी पीड़ा कम हो जाएगी। रोते हुये बच्चे को माँ या फिर किसी सगे के द्वारा गोद में उठा लेना और संस्पर्श पाकर बच्चे का चुप हो जाना यह दर्शाता है कि स्पर्श हमारा भावनात्मक बल है।
- जब आदमी रोता है, तब वह सबसे सच्चा होता है ।
- आप रातोरात अपनी पत्नी को नहीं बदल सकते, अपने बच्चों को नहीं बदल सकते, अपने सहयोगियों/सहकर्मियों अथवा मित्रों को नहीं बदल सकते मगर स्वयं को बदल सकते हैं ...कोशिश करके देखिये आप बदलेंगे तो अपने आप यह समूह भी बदल जाएगा।
- यदि एक ब्लॉगर नई पीढ़ी को समुचित ज्ञान देने के बिना मर जाता है, तो उसका ज्ञान व्यर्थ है। (अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद)