अज्ञानी मनुष्य को समझाना सामान्यतः सरल होता है। उससे भी आसान होता है जानकार या विशेषज्ञ अर्थात् चर्चा में निहित विषय को जानने वाले को समझाना । किन्तु जो व्यक्ति अल्पज्ञ होता है, जिसकी जानकारी आधी-अधूरी होती है, उसे समझाना तो स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के भी वश से बाहर होता है।
काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा॥
जो बुद्धिमान (ज्ञानी) मनुष्य होते है उनका ज्यादातर समय काव्य, शास्त्र के ज्ञान को पाने उसके आनन्द को प्राप्त करने में व्यतीत होता है वहीं जो मूर्ख व्यक्ति है उनका अधिकांश समय व्यसन , निद्रा और कलह (झगड़े) करने में नष्ट हो जाता है।
जल से आग बुझाई जा सकती है, सूर्य के ताप को छाते से रोका जा सकता है, मतवाले हाथी को तीखे अंकुश से वश में किया जा सकता है, पशुओं को दण्ड से वश में किया जा सकता है, औषधियों से रोग भी शान्त हो सकता है, विष को भी अनेक मन्त्रों के प्रयोगों से शान्त कर सकते हैं - इस तरह सब उपद्रवों की औषधि शास्त्र में है, परन्तु मूर्ख की कोई औषधि नहीं है।