मुस्तफा कमाल अतातुर्क
मुस्तफा कमाल अतातुर्क आधुनिक तुर्की के जनक (अता तुर्क) कहे जाते हैं। उनका जन्म 1881 ई. में सेलोनिका के एक सामान्य परिवार में हुआ था। सात वर्ष की उम्र में ही उसके पिता अली रजा की मृत्यु हो गयी, अतः उसका लालन-पालन उनकी माता जुबेदा ने किया।
मुस्तफा कमाल पाशा साम्राज्यवाद के कट्टरविरोधी तथा राष्ट्रीयता एव आधुनिकता का प्रबल समर्थक थे। मुस्तफा पाशा ने तुर्की को आधुनिक राष्ट्र के रूप में परिवर्तित किया, जिसे पहले 'यूरोप का रोगी' कहा जाता था। मुस्तफा कमाल पाशा ने आधुनिक तुर्की के निर्माण के लिये आधुनिक शिक्षा प्रणाली शुरू की तथा प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य तथा निशुल्क कर दिया; उपाधियों का अन्त कर दिया गया; राष्ट्रीयता के विकास के लिए नगरों के प्राचीन नामों को बदला गया; स्त्री शिक्षा व्यवस्था और सिविल विवाह की पद्धति लागू की गई; खिलापत (खलीफा को शासनाध्यक्ष मानना) का अन्त कर दिया गया तथा तुर्की धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया; पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ कर तीव्र औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया गया।
विचार
सम्पादन- मैंने एक बार किताबें पढ़ीं और समझना चाहा कि दार्शनिक जीवन के बारे में क्या कहते हैं। उनमें से कुछ ने सब कुछ अंधकारमय देखा। "चूंकि हम कुछ भी नहीं हैं और हम शून्य पर पहुंच जाएंगे, इसलिए पृथ्वी पर हमारे अस्थायी जीवन के दौरान खुशी और आनंद के लिए कोई जगह नहीं है," उन्होंने कहा। मैंने अन्य पुस्तकें पढ़ीं, जो समझदार लोगों द्वारा लिखी गई थीं। वे कह रहे थे: "चूंकि अंत वैसे भी शून्य है, इसलिए हमें कम से कम जब तक हम जीवित हैं, तब तक खुश और प्रसन्न रहना चाहिए।" अपने स्वयं के चरित्र के लिए मुझे जीवन का दूसरा दृष्टिकोण पसंद है, लेकिन इन सीमाओं के भीतर: एक व्यक्ति जो अपने व्यक्तित्व में सभी मानव जाति के अस्तित्व को देखता है वह दयनीय है। जाहिर है कि वह व्यक्ति एक व्यक्ति के रूप में नष्ट हो जाएगा। किसी भी व्यक्ति के लिए जब तक वह जीवित है, संतुष्ट और खुश रहने के लिए जो आवश्यक है वह अपने लिए नहीं, बल्कि अपने बाद आने वालों के लिए काम करना है। केवल इस तरह से एक समझदार व्यक्ति कार्य कर सकता है। जीवन में पूर्ण आनंद और खुशी केवल भावी पीढ़ियों के सम्मान, अस्तित्व और खुशी के लिए काम करने में ही मिल सकती है।