माओ त्से तुंग

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संस्थापक पिता (1893–1976)

माओ त्से तुंग (), चीनी क्रान्तिकारी, राजनैतिक विचारक और साम्यवादी दल के सबसे बड़े नेता थे जिनके नेतृत्व में चीन की क्रान्ति सफल हुई। उन्होंने जनवादी गणतन्त्र चीन की स्थापना (सन् 1949) से मृत्यु पर्यन्त (सन् 1973) तक चीन का नेतृत्व किया। मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा को सैनिक रणनीति में जोड़कर उन्होंने जिस सिद्धान्त को जन्म दिया उसे माओवाद नाम से जाना जाता है। कई लोग माओ को एक विवादास्पद व्यक्ति मानते हैं परन्तु चीन में वे राजकीय रुप में महान क्रान्तिकारी, राजनैतिक रणनीतिकार, सैनिक पुरोधा एवं देशरक्षक माने जाते हैं। चीनियों के अनुसार माओ ने अपनी नीति और कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक, तकनीकी एवं सांस्कृतिक विकास के साथ देश को विश्व में प्रमुख शक्ति के रुप में ला खडा करने में मुख्य भूमिका निभाई।

उद्धरण

सम्पादन
  • कठिनाई के समय में हमें अपनी उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, उज्ज्वल भविष्य देखना और साहस जुटाना चाहिए।
  • इंक़िलाब कोई जेवनार, निबंध लेखन, चित्रकारी, या फुलकारी नहीं है; उतना शालीन, ब-इत्मीनान और सौम्य, उतना संयमी, दयालु, विनम्र, संयमित और उदार नहीं हो सकता। इंक़िलाब बग़ावत है, एक हिंसक कार्य जिसके द्वारा एक वर्ग दूसरे का तख़्ता उलट देता है।
  • द्वितीय विश्व युद्ध को देखिए, हिटलर की क्रूरता को देखिए। जितनी ज़्यादा क्रूरता होती है, उतना ही ज़्यादा लोगों में इंक़िलाब के लिए उत्साह बढ़ता है।
  • प्रत्येक साम्यवादी को यह सच समझ लेना चाहिए; "राजनीतिक शक्ति बंदूक़ की नली से निकलती है।"
  • जनता के विचारों को लें और उन्हें केंद्रित करें, फिर जनता के पास जाएँ, विचारों पर क़ायम रहें और उन्हें आगे बढ़ाएँ, ताकि नेतृत्व के सही विचार तैयार हो सकें - यही नेतृत्व की मूल विधि है।
  • स्वतंत्रता की लड़ाई में प्राकृतिक विज्ञान मनुष्य के हथियारों में से एक है। समाज में स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से मनुष्य को समाज को समझने और बदलने तथा सामाजिक क्रांति लाने के लिए सामाजिक विज्ञान का उपयोग करना चाहिए। प्रकृति की दुनिया में स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से, मनुष्य को प्रकृति को समझने, जीतने और बदलने के लिए प्राकृतिक विज्ञान का उपयोग करना चाहिए और इस प्रकार प्रकृति से मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए।
  • मृत्यु के अनेक लाभ हैं, यह धरती को उपजाऊ बनाता है।
  • राजनीति रक्तहीन रण है, जबकि रण रक्तरंजित राजनीति है।
  • राजनीति सारे आर्थिक कामों की रीढ़ है।
  • लोग और केवल लोग ही वह शक्ति हैं, जो विश्व में इतिहास बनाते हैं।
  • लोग पानी की तरह होते हैं, और सेना मछली की तरह।
  • संघर्ष के बाद ही विश्व में चमत्कार मुमकिन होते हैं।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण बात है, मजबूत बनना। मजबूत होकर हम दूसरों को जीत सकते हैं। दूसरों को जीतना एक गुण है।
  • समाजवाद की घास, पूंजीवाद की फसल से बेहतर है।
  • सही राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं होना, आत्मा नहीं होने जैसा है।
  • सेना को चाहिए कि वह जनता के साथ एक रूप हो, ताकि जनता उसे अपनी ही सेना समझे, ऐसी सेना अपराजेय बन जाएगी।
  • स्टालिन ने गलतियां की। उसने हमें लेकर गलतियां की, 1927 में। उसने योगोस्वालव को लेकर भी गलतियां की। गलतियां किए बिना कोई आगे नहीं बढ़ सकता। गलतियां करना जरूरी है। पार्टी गलती किए बिना आगे नहीं बढ़ सकती। यह बड़ी बात है।
  • हम मार्क्स, एंगल्स, लेनिन और स्टालिन के आभारी हैं कि उन्होंने हमें हथियार दिया। ये हथियार मशीन गन नहीं है। यह मार्क्सवाद – लेनिनवाद है।
  • हमारा लक्ष्य अपने शत्रुओं को अपना मित्र बनाना होना चाहिए।
  • हमें अपनी लड़ाई हमेशा साहस के साथ लड़नी चाहिए।
  • हमें उन सभी बातों का समर्थन करना चाहिए जिसका हमारे दुश्मन विरोध करते हैं। उन सभी बातों का विरोध करना चाहिए, जिसका हमारे दुश्मन समर्थन करते हैं।
  • हर सुधार विरोधी व्यक्ति कागज के शेर की तरह होता है।