मन्मथनाथ गुप्त
मन्मथनाथ गुप्त (जन्म 7 फरवरी 1908) भारत के एक क्रांतिकारी लेखक तथा हिंदी, अंग्रेजी और बंगला में आत्मकथात्मक, ऐतिहासिक और काल्पनिक पुस्तकों के लेखक थे। वह 13 साल की उम्र में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे।
विचार
सम्पादन- प्रगतिशील होना या प्रगतिशील का तकाजा करना उतना बड़ा पाप नहीं जैसा कि कुछ साहित्यकारों ने प्रचार कर रखा है प्रगतिशीलता के विरुद्ध जो वातावरण उत्पन्न हुआ है उसके कारण को भी ढूंढना पड़ेगा क्योंकि इसे किए बिना हम प्रगति शीलता को उसके उच्च स्थान पर स्थापित नहीं कर पाएंगे।
- यह स्पष्ट है कि समाज में निरंतर विकास हो रहा है इसका अर्थ यह कदापि नहीं की समाज का मान भी उपादान है। यदि कुछ भी प्रयास ना करें तो भी प्रगति होगी। प्रगति प्रयास में अंतर्निहित है।
- कोई यदि क्रांति के जोश में आकर कनस्तर पीट दे और साथ में जोर जोर से चिल्लाए तो उसके चिल्लाने को महज इसलिए कि वह क्रांतिकारी जोश से उद्भूत हुआ है इसे संगीत नहीं कहा जा सकता।
- हमारे नए स्वतंत्र देश में इस बात की आवश्यकता है कि साहित्य लोगों में आशा उत्पन्न करके नए संग्राम के लिए हमको तैयार करे।
- कांग्रेस के पहले के नेताओं की तुलना में गांधीजी एक बहुत बड़े क्रांतिकारी थे और उनका असहयोग वाला अस्त्र पहले के कांग्रेसी नेताओं के बीच भिक्षापात्र वाले साधन से कहीं क्रांतिकारी था।
- यह बात नहीं है कि भारतवर्ष में असहयोग से पहले कोई जन आंदोलन नहीं हुआ हुआ और उनमें से कई शक्तिशाली थे। बंग भंग आंदोलन निश्चित रूप से एक जन आंदोलन था इसने बंगाल की हिंदू जनता को बहुत गहराई तक स्पर्श किया।
- भगत सिंह ने कोई जादू नहीं किया था भगत सिंह ने क्रांतिकारी दल को जनता के साथ जोड़ दिया बस यही उनका जादू था। जनता के साथ क्रांतिकारी आंदोलन को जोड़ने की यह कला बंग भंग के दौरान लुप्त सी हो चुकी थी भगत सिंह ने पंजाब और उत्तर भारत में इस लुप्त कला का पुनरुद्धार किया यही उनकी अभूतपूर्व सफलता का रहस्य था।
- झूठ बोलना सभी सदाचार के अनुसार बुरा अनैतिक या अधार्मिक है किंतु किसी भी देश के कानून में झूठ बोलना अपराध नहीं है हां यदि अदालत में खड़े होकर कोई झूठ बोले तो उसकी बात और है।
- यदि हम असभ्य लोगों के रिवाजों की बात करेंगे तो पाएंगे कि उनमें जो बात निषिद्ध थी वह बात अपराध भी थी यह समझा जाता था कि कोई अपराध करता है तो उसकी बलि चढ़ाकर या उसके परिवार की बलि चढ़ा कर देवता के क्रोध को शांत करना चाहिए।
- राजनीतिक दल या श्रेणियां अपनी बिगड़ी को बनाने के लिए या अपने बने बनाए श्रेणीस्वार्थ को और बढ़ाने या पुख्ता करने के लिए अब भी धार्मिक नारों की आड़ लेते हैं और यह तरीका अभी भी काम दे जाता है।
- जिस समय चीनी पर्यटक फाहियान पांचवी शताब्दी में बंगाल में आए उस समय बंगाल की कम से कम पश्चिम और उत्तर में आर्य संस्कृति और भाषा का प्रचार हो चुका था।
- इसमें संदेह नहीं कि विद्यापति ने मैथिली भाषा में रचना की पर बंगाल में उनकी रचनाओं का जो संस्करण प्रचलित है वह मैथिली में प्राप्त संस्करण से कुछ अलग है।
- प्रेमचंद हिंदी साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की सर्वश्रेष्ठ विभूतियों में से हैं उनके महत्व को अब लोग कुछ कुछ समझने लगे हैं।
- उपन्यास एक ऐसी कला है जिसमें मनुष्य के समग्र जीवन को उसके सारे ब्यौरों में चित्रित करने की चेष्टा की जाती है।
- एक ही कहानी का अर्थ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है ओर न यह अर्थ है कि उस व्यक्ति से निकट तथा प्रत्यक्ष रूप से संबंध व्यक्तियों की कहानी हो।
- संगीत में यदि गला अच्छा हुआ और गायक या गायिका का चेहरा प्रीतिकर हुआ तो उतना सही एक सुर में गाए गए एक ही गाने के असर में बहुत फर्क हो जाता है।
- अच्छे से अच्छे नाटक रद्दी अभिनेताओं के खेले जाने पर निकृष्ट मालूम होते हैं और रद्दी से रद्दी नाटक भी अच्छे अभिनेताओं के हाथ में पढ़कर चमक उठता है।
- बच्चों को जब तक सदाचारी नहीं बनाया जाएगा और मानवता के आधारभूत सिद्धांत नहीं समझाए जाएंगे तब तक ना तो अच्छे नागरिक बन सकेंगे और ना ही अच्छे राष्ट्र निर्माता।
- धर्म क्या है और क्या नहीं इस संबंध में धार्मिक लोगों में भी बड़ा मतभेद है फिर भी यह तो मानना ही पड़ेगा कि जो केवल अपने लिए जीता है उसका जीवन घटिया है इसके विपरीत जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं वह लोग महान हैं।
- सुख और शांति किसमें है? क्या अच्छा भोजन करने में हैं? अगर ऐसा है तो 24 घंटे किसी आदमी को अच्छा भोजन ही खिलाते रहो तो क्या वह सुखी होगा थोड़ी देर के बाद ही उसका पेट अफर जाएगा।
- क्या आपने कभी सुना है कि किसी को ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने से बदहजमी हो गई हो? आदमी जितना ज्ञान बढ़ाता है उसको उतना ही सुख मिलता है।
- किसी काम को सीखने की दो रीतियां हैं या तो हम दूसरे लोगों से कोई बात सीखते हैं या किताबे पढ़कर।
- बार-बार रस्सी की रगड़ से पत्थर में भी निशान पड़ जाता है बार-बार अच्छी बातें सुनने को मिलेगी तो अच्छे बनोगे बुरी बात सुनते रहोगे तो बुरे ही बनोगे।