आधुनिक मनोविज्ञान की आत्मा की समझ सन्देह के घेरे में है। इसमें दार्शनिक जीवन की सर्वोच्चता की भावना के लिये कोई स्थान नहीं है। इसको शिक्षा की कोई समझ नहीं है। इसलिये इस तरह की मानसिकता से युक्त बच्चे एक तरह से तहखाने में जी रहे होते हैं और सामान्य बुद्धि के ही स्तर तक आने के लिये उन्हें बहुत अधिक चढ़ना पड़ता है, जो कि ज्ञान के स्तर तक की ऊँचाई तक पहुँचने की उनकी यात्रा का आरम्भ मात्र है। वे जो कुछ अनुभव करते हैं या जो कुछ देखते हैं, उन पर उनको विश्वास नहीं रहता। उनके पास जो विचारधारा होती है वह वह उनको तर्कशक्ति प्रदान नहीं करती बल्कि उनके भय को तार्किक आधार देती है। -- एलन ब्लूम, The Closing of the American Mind (1987), पृष्ठ 121