पैगम्बर मुहम्मद ﷺ (लगभग c. 570 CE – 8 June 632 CE) एक शिक्षक और धर्म गुरु थे। इस्लामिक सिद्धांत के अनुसार, वह एक नबी थे, जो पहले आदम , इब्राहीम , मूसा ईसा (येशू) और अन्य भविष्यवक्ताओं द्वारा प्रचारित एकेश्वरवादी शिक्षाओं को प्रस्तुत करने और पुष्टि करने के लिए भेजे गए थे।

अल्लाह के अलावा कोई दूसरा ईश्वर नहीं है,
और मुहम्मदﷺअल्लाह के पैगंबर हैं.([१])

उक्तियाँ

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अच्छे आचरण का महत्व

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  • "तुम में सबसे बेहतर वो लोग हैं जिनके अखलाक सबसे अच्छे हैं:.-सही अल-बुख़ारी”
  • "​बन्दे के दिल मे कभी कंजूसी और इमान एक साथ जमा नही हो सकते"- [नसाइ: 3110]

​*जिस ने चोरी का माल ख़रीदा यह जानते हुए के चोरी का माल है वह उस के गुनाह और बुराई मे शरीक हुआ । [मुस्तदरक हाकिम: 2/35]

  • माँ बाप को गाली देने वाले पर पर अल्लाह और उस के रसूल ﷺ की लानत है। [अहमद: 1779]
  • मुझे तुम्हारे बारे मे सब से ज़्यादा डर दिखावा और छुपे बुरे ख़याल का है । [तबरानी कबिर: 6/255]

आदमी जब अपनी पत्नी को पानी भी पिलाए तो उसे उसका भी पुण्य मिलता है । [तबरानी औसत: 858]

  • अल्लाह की दृष्टि में सबसे अधिक घृणात्मक वह व्यक्ति जो ज़्यादा सबसे झगड़ालू हो।-(बुखारी शरीफ 2457)

सच्चा मुसलमान

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  • किसी मोमिन (आस्तिक) के लिए ये उचित नहीं कि उसमें लानत करते रहने की आदत हो। [[तिरमिज़ी]
  • इस्लाम की बुनियाद पांच चिजो पर क़ायम की गई है, पहला- गवाही देना की अल्लाह( ईश्वर) के सिवा कोई , पूजनीय नहीं और बेशक हज़रत मुहम्मद (सल अल्लाहो अलैहे वसल्लम) अल्लाह के सच्चे रसूल हैं, दूसरा- *नमाज़ क़ायम (प्रार्थना) करना, तीसरा- ज़कात अदा करना (दान देना), चौथा- हज्ज करना (तीर्थ यात्रा ) और पांचवा- रमज़ान के रोज़े (उपवास )रखना|
  • रोज़ा(उपवास) नर्क से बचने के लिए एक ढ़ाल है, इसलिए (उपवासी) न कोई अश्लील बातें करें और न अज्ञानपूर्ण बातें, और अगर कोई व्यक्ति इस से लड़े या इसे गाली दे तो इसका जवाब सिर्फ ये होना चाहिए की मैं उपवासी हूँ, दो बार (कह दे)| बुख़ारी शरीफ़ 3:1894
  • अगर कोई असत्य झूठ बोलना और दग़ाबाजी करना (रोज़े(उपवास) रख कर भी) न छोड़े तो अल्लाह ताला को इसकी कोई ज़रुरत नहीं की वो अपना खाना पीना छोड़ दे|बुख़ारी शरीफ़- 3:1903
  • एक आदमी ने रसूल अल्लाह (सल अल्लाहो अलैहे वसल्लम) से पूछा, कौन सा इसलाम बेहतर है ? आप (सल अल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने फ़रमाया की "तू खाना खिलाये और हर व्यक्ति को सलाम करे चाहे उसको तू जानता हो या न जानता हो। बुख़ारी शरीफ़ - 1:28

यह भी देखें

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साँचा:Wikipedia books

बाहरी कड़ियाँ

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