परदेश
- स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते।
- राजा की पूजा अपने देश में होती है लेकिन विद्वान की पूजा सर्वत्र होती है।
- यस्मिन् देशे न सम्मानो न प्रीतिः न च बान्धवाः
- न च विद्यागमः कश्चित् न तत्र दिवसं वसेत्॥ --
- जिस देश में न सम्मान हो, न प्रीति हो, न बन्धु हों, न विद्या का कोई आगम हो, वहाँ एक दिन भी नहीं रहना चाहिये।