नास्तिकता
- यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत् । भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः ।। त्रयोवेदस्य कर्तारौ भण्डधूर्तनिशाचराः । -- चार्वक
- जब तक जीयें, सुख से जीना चाहिये। कर्ज लेकर घी पीना चाहिये। देह के भ्स्म हो जाने के बाद उसका पुनः धरती पर आन कैसे सम्भव है?
- जो नास्तिक हैं उनको वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भगवान में विश्वाश करना चाहिए इसी में उनका हित है। -- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर