नालापत बालमणि अम्मा

भारतीय लेखक और कवयित्रि

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मलयालम कवयित्री नालापत बालमणि अम्मा अपनी कविता संग्रह "मुथास्सी" के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करती हुई (1963)

नालापत बालमणि अम्मा भारतiu से मलयालम भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं।कवयिuहिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों[क] में से एक महादेवी वर्मा की समकालीन थीं। उन्होंने 500 से अधिक कविताएँ लिखीं। उनकी गणना बीसवीं शताब्दी की चर्चित व प्रतिष्ठित मलयालम कवयित्रियों में की जाती है। अम्मा का काव्यसाम्राज्य मातृत्व का दिव्य प्रपंच है। उनकी रचनाएँ एक ऐसे अनुभूति मंडल का साक्षात्कार कराती हैं जो मलयालम् में अदृष्टपूर्व है। आधुनिक मलयालम की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें मलयालम साहित्य की दादी कहा जाता है। उनकी अनेक पंक्तियाँ सुभाषित बन गई हैं। जैसे-

हर कहीं
लाए सूर्य प्रकाश
हर कहीं
लगाए बगीचे
दोनों मार्गों पर-
बढ़ते वक्त
बधाई
मदद देने वाले.....!
बालमणि अम्मा के दाम्पत्य की झलक वाली
एक कविता का अंश
पुस्तक: 'सरस्वती की चेतना' से

बाह्य सूत्र

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