• शनैः पन्थाः शनैः कन्था शनैः पर्वतमस्तके ।
शनैर्विद्या शनैर्वित्तं पञ्चैतानि शनैः शनैः ॥
धीरे-धीरे (धैर्य से) रास्ता काटना या चलना चाहिए , धीरे-धीरे सिलाई करना (या वैराग्य लेना) चाहिये, धीरे धीरे पर्वत पर चढ़ना चाहिए, धीरे-धीरे विद्या प्राप्त करना चाहिए और पैसे भी धीरे कमाना चाहिए।
  • यथा सिंहो गजो व्याघ्रो भवेद्वश्यः शनैः शनैः।
तथैव सेवितो वायुरन्यथा हन्ति साधकम्॥ -- शाण्डिल्योपनिषद / हठयोगप्रदीपिका
जिस प्रकार सिंह, गज और व्याघ्र आदि को धीरे-धीरे वश में आते हैं, उसी प्रकार वायु भी प्राणायाम के अभ्यास से धीरे-धीरे वश में आ जाती है; लेकिन इसके विपरीत नियम से चलने पर यानी जल्दबाजी करने से वायु साधक (योगी) का विनाश कर देती है।
  • धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ -- कबीर
  • यह 'रहीम' निज संग लै, जनमत जगत् न कोय ।
बैर प्रीति अभ्यास जस होत होत ही होय ॥
बैर, प्रीति, अभ्यास और यश इनके साथ संसार में कोई भी जन्म नहीं लेता। ये सारी चीजें तो धीरे-धीरे ही आती हैं।
  • भविष्य धीरे-धीरे आता है, वर्तमान उड़ जाता है और अतीत हमेशा के लिए खड़ा हो जाता है। -- फ्रेडरिक शीलर
  • लाभ धीरे-धीरे दिया जाना चाहिए; और इस तरह वे बेहतर स्वाद लेंगे। -- निकोलो मैकियावेली
  • सामाजिक और आर्थिक मौलिक परिवर्तन क्रमिक रूप से धीरे-धीरे किया जाना चाहिए। -- विक्रम साराभाई

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