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  1. नमन मंच
  2. विषय अहंकार न कर जीत का
  3. शीर्षक ना कोई हार ना जीता
  4. दिनांक ३०/०८/२०२४

विद्या कविता पोस्ट क्रमांक १

धन्य है धनंजय श्री कृष्ण तेरे हिस्से में आये ! अहंकार न कर रणक्षेत्र को जीतने का, जैसे युद्ध तेरे गांडीव की टनकार ने जिताया !

युद्ध की बुनियाद लाक्षागृह की अग्नि का है साया ! द्रोपदी के वस्त्र हरण ने इस युद्ध को भड़काया ! आत्मज्ञानी शूरवीरों की मौन सहमति ने महाभारत करवाया !

दुर्बुद्धि दुराचारी दुर्योधन का सौभाग्य ही कह लो कवच बनना स्वीकार किया धर्म के वक्ताओं ने, भीष्म द्रोण और कर्ण जैसे महायोद्धाओं ने !

हे अर्जुन इस युद्ध को कभी जीत न पाया होता, कायरता से निहत्थे अभिमन्यु का वध ना होता ?

अंतिम महापाप था दुर्योधन के महा-योद्धाओं का और विजय श्री की और तुम्हारी जीत का !

स्वरचित मौलिक रचना राधेश्याम खटीक भीलवाड़ा राजस्थान