दृष्टिबाधितार्थ पृष्ठ
- नमन मंच
- विषय अहंकार न कर जीत का
- शीर्षक ना कोई हार ना जीता
- दिनांक ३०/०८/२०२४
विद्या कविता पोस्ट क्रमांक १
धन्य है धनंजय श्री कृष्ण तेरे हिस्से में आये ! अहंकार न कर रणक्षेत्र को जीतने का, जैसे युद्ध तेरे गांडीव की टनकार ने जिताया !
युद्ध की बुनियाद लाक्षागृह की अग्नि का है साया ! द्रोपदी के वस्त्र हरण ने इस युद्ध को भड़काया ! आत्मज्ञानी शूरवीरों की मौन सहमति ने महाभारत करवाया !
दुर्बुद्धि दुराचारी दुर्योधन का सौभाग्य ही कह लो कवच बनना स्वीकार किया धर्म के वक्ताओं ने, भीष्म द्रोण और कर्ण जैसे महायोद्धाओं ने !
हे अर्जुन इस युद्ध को कभी जीत न पाया होता, कायरता से निहत्थे अभिमन्यु का वध ना होता ?
अंतिम महापाप था दुर्योधन के महा-योद्धाओं का और विजय श्री की और तुम्हारी जीत का !
स्वरचित मौलिक रचना राधेश्याम खटीक भीलवाड़ा राजस्थान