तरुण सागर जैन परम्परा के सुप्रसिद्ध मुनि थे। वे एक साधारण सन्त नहीं बल्कि बड़े ही विद्रोही और क्रांतिकारी मुनि थे। वे प्रतिदिन एक नए नियम का पालन करने की सीख देते थे। उनकी वाणी लोगों के अन्तर्मन को झकझोर देती थी। उन्होंने १३ वर्ष की छोटी उम्र में ही दीक्षा ले ली थी।

26 जून 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले के ग्राम गुहजी में उनका जन्म हुआ। उनका पहले का नाम पवन कुमार था। आपने लगभग चार दर्जनों से भी अधिक पुस्तकें लिखें जिसका 6 भाषाओं में अनुवाद किया गया। आपने अपनी दीक्षा आचार्य पुष्पदन्त सागर जी से ली थी। इनका देहावसान 1 सितम्बर 2018 को दिल्ली के राधेपुरी में हो गया।

उनके चिन्तन-मनन से कोई भी विषय अछूता नहीं है। आदर्श गृहस्थ आश्रम, ऐहिक समृद्धि, देश की व्यवस्था, लोक हितकारी राज्य, शासन-प्रशासन, शिक्षा व्यवस्था सब पर उन्होंने मनन किया है। वे देश के प्रथम मुनि थे जिन्होंने दिल्ली के लाल किले से भी अपना प्रवचन किया। ये अपनी अनोखी और कड़वे प्रवचन के लिए जाने जाते हैं।

सुविचार सम्पादन

  • समाज व देश आम लोगों की वजह से नहीं बंटा है बल्कि उन खास लोगों की वजह से बंटा है जिन्हें आप संत, मुनि, आचार्य, मौलवी और पादरी कहते हैं।
  • अगर यह खास लोग अपने अहम और वहम को छोड़कर सच्चे मन से तख्त और वक्त पर एक हो जाए तो रातों-रात समाज व देश का कायाकल्प हो सकता है।
  • पचास लाख साधु-सन्यासी और धर्मगुरु इस देश में है जिनकी किसी भी सामाजिक और राष्ट्रीय परिवर्तन में बड़ी भूमिका हो सकती है।
  • जैन धर्म अपने अनुयायी को सिर्फ भक्त बनाकर नहीं रखता, बल्कि उसे खुद भगवान बनने की भी छूट देता है।
  • जैन धर्म हीरा है मगर दुर्भाग्य है, आज यह कोयला बेचने वालों के हाथ में आ गया है।
  • जो तुम्हारा बुरा करता है और बुरा सोचता है उसके प्रति भी तुम कल्याण का भाव रखो और उसे माफ कर दो। कारण कि वह किसी जन्म का तुम्हारा ही भाई है। अपने दांत से यदि जीभ कट जाती है तो क्या तुम अपने दांत को तोड़ डालते हो; नहीं ना। तो फिर अपने ही किसी भाई को उसकी गलती पर इतना आग-बबूला क्यों होते हो?
  • तुम्हें पता नहीं कि हर महापुरुष के पीछे एक खलनायक होता है। आलोचकों से डरो नहीं; आखिर पत्थर उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं जिस पर मीठे-मीठे फल लटक रहे होते हैं।
  • जिंदगी में कभी दुख और पीड़ा आए तो उसे चुपचाप पी जाना। अपने दुख और दर्द दुनिया के लोगों को मत दिखाते फिरना; क्योंकि वह डॉक्टर नहीं है जो तुम्हारी समस्या का समाधान कर दे।
  • यह दुनिया जालिम है। तुम्हारे दुख-दर्द को रो-रोकर पूछेगी और हंस-हंसकर दुनिया को बताएगी। अपने जख्म उन लोगों को ना दिखाओ जिनके पास मरहम ना हो। वे खुदगर्ज लोग मरहम लगाने की बजाए जख्मों पर नमक छिड़क देंगे।
  • जब भी ज़िंदगी में संकट आता है तो सहन शक्ति पैदा करो। जो सहता है वो रहता है ।
  • यदि कोई आपको गालियां देता है और आप उसे स्वीकार नहीं करते तो वह गालियां उसी व्यक्ति के पास रह जाती हैं। कोई आपको कुत्ता कहता है तो आप उसपर भौंके नहीं अपितु मुस्काएं। गालियां देनेवाला स्वयं ही शर्मिंदा हो जाएगा। अन्यथा तुम सचमुच कुत्ता बन जाओगे।
  • युवतियाँ कभी भी घर से भागकर शादी मत करना। विधर्मी से शादी करने पर आपको वह सब भी करना पद सकता है जिसकी कल्पना आपने कभी भी नहीं की होगी। तीन घंटे की फिल्म और वास्तविक जीवन में काफी अंतर होता है। अतः कोई भी काम जाग्रत अवस्था में ही करो।
  • लड़ लेना, झगड़ लेना, पिट जाना, पीट देना – लेकिन बोल चाल मत बंद करना।
  • मंजिल मिले या न मिले यह मुकद्दर की बात है। लेकिन हम कोशिश नहीं करें यह गलत बात है।
  • अपनी समझ और अपनी आँख पर नियंत्रण रखो, जीवन सँवर जाएगा।