डॉ. सिअस (1957)

डॉ.सिअस सम्पादन

  • इसलिए रो मत कि सब खत्म हो गया। मुस्कुराओ कि ऐसा हुआ।
  • कैसे इतनी जल्दी इतनी देर हो गयी? दोपहर से पहले ही रात हो गयी, दिसंबर जून से पहले आ गया. हे भगवान समय कैसे उड़ गया.कैसे इतनी जल्दी इतनी देर हो गयी?
  • बड़ी सावधानी और चतुराई से अपने कदम बढाइये, और याद रखिये की जीवन संतुलन बनाये रखने का एक महान काम है|
  • आप कभी इतने बूढ़े, इतने अनोखे, इतने जंगली नहीं हो सकते की एक किताब उठकर बच्चे के सामने न पढ़ सकें।
  • आज तुम तुम हो! ये सच से भी सच है! कोई भी ऐसा नहीं है जो तुमसे जयदा तुम हो!
  • मुझे बकवास पसंद है, यह दिमाग की कोशिकाओं को जगाता है।

कविता सम्पादन

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