कुमार विश्वास
कुमार विश्वास (जन्म : 10 फरवरी 1970) हिन्दी के कवि, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। वे पूर्व में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर भी रहे। कविता के क्षेत्र में श्रृंगार के गीत इनकी विशेषता है।
कोई दीवाना कहता है, एक पगली लड़की के बिन, उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती, कुछ छोटे सपनो के बदले, खुद को आसान कर रही हो ना, जब भी मुँह ढक लेता हूँ, जाने कौन नगर ठहरेंगे, जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, तुम्हारा फ़ोन आया है, तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है, तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा, दुःखी मत हो, देवदास मत होना, नेह के सन्दर्भ बौने हो गए, पवन ने कहा, प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाये, प्रीतो!, फिर बसंत आना है, बाँसुरी चली आओ, बात करनी है, बात कौन करे, महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है, माँ, मेरे सपनों के भाग में, मैं तुम्हें ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक, मैं तो झोंका हूँ, मौसम के गाँव, ये इतने लोग कहाँ जाते हैं सुबह-सुबह, रंग दुनिया ने दिखाया है, रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है, विदा लाडो, सफ़ाई मत देना, साल मुबारक, हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें, हो काल गति से परे चिरंतन, होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो अदि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
उक्तियाँ
सम्पादन- माँ हिन्दी के चमत्कारिक-विस्तृत-वृहद्-अनहद आँचल की स्नेहिल छाया ने जो स्थान दिया है, इसके लिए आकाश भर आभार भी कम है! (हिन्दी दिवस की शुभकामना में)
- तेरे होने से मेरा होना है, मैं नहीं जानता कि तू क्या है। (हिन्दी दिवस की शुभकामना में)
- मैं ये कहना चाहता हूं जो राष्ट्र अपने शिक्षक को सम्मान नहीं देता; इतिहास उसे स्थान नहीं देता, उसे गति नहीं देता...।
- पिछले 70 वर्षों में हमने राष्ट्र के रूप में प्रगति नहीं की है, देश के रूप में प्रगति नहीं की। हमारी निजी प्रगति है देश की प्रगति बताई जाती है। एक मराठी प्रोसेसर के लड़के ने 10वीं में फेल होने स्वीकार किया लेकिन 5.5 फुट लड़के ने तपती दोपहरी में बल्ला लेकर गेंद मारने की प्रेक्टिस की। पूरा देश विश्व सामने खड़ा हो गया कि हमारे पास सचिन तेंदुलकर है।
- यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है; तो एक अकेला जुगनू भी अंधकार को हर लेता है।
- आप अपना प्रकाश स्वयं बने।
- हमारा सारा डिस्कम्फर्ट (असहजता) हमारे खुद के साथ है।
- कच्चे लोग जीवन में बड़ी सफलता नहीं देते।
- आप स्वार्थी बनिए परंतु अपने लिए।
- आपके मां-बाप आपकी किसी प्रवृत्ति पर नाराज हो तो आप समझ लेना कि आप में कुछ अतिरिक्त है, जो हो रहा है, इसमें लज्जित मत होना।
- साध्य महत्वपूर्ण है , ना कि साधन।
- महत्वाकांक्षा अनन्त रखना परन्तु लालच शून्य रखना।
- युद्ध में इतिहास आपका आकलन इस बात से नहीं करता; आप जीते या हारे। इस बात से आकलन करता है कि आपने गोली पीठ पर खायी या छाती पर खायी।
- मैं एक सामान्य आदमी हूं। 24 घंटे मेरे पास भी है; शारीरिक रूप से मैं भी इतना सक्षम नहीं हूं फिर भी मैं 18 घंटे के आस पास काम करता हूं केवल 4-5 घंटे ही सो पाता हूं।
- राजनीति एक युगधर्म है।
- ज्यादातर लोग बड़े दिखते हैं परंतु बड़े होते नहीं।
कविताएँ
सम्पादन- कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
- मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
- मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
- ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
- मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
- कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
- बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
- जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हूँ मैं
- मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
- मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
- हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
- अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा
- मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
- कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
- यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
- जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
- अमावस की काली रातों में, जब दिल का दरवाजा खुलता है ,
- जब दर्द की प्याली रातों में, गम आंसूं के संग होते हैं ,
- जब पिछवाड़े के कमरे में , हम निपट अकेले होते हैं ,
- जब उंच -नीच समझाने में , माथे की नस दुःख जाती हैं ,
- तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
- और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है !!
- भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
- हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
- अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
- मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
- जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,
- जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,
- कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
- किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
- मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो
- मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ
- हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
- खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
- किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
- जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है
- ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
- ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
- अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
- मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है
- जब जल्दी घर जाने की इच्छा , मन ही मन घुट जाती है ,
- जब कॉलेज से घर लाने वाली , पहली बस छुट जाती है ,
- पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
- जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना
- मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है
- जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना
- वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
- वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
- किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
- यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
- जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है ,
- जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है
- तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
- कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
- कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
- मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।
- मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
- भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
- यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
- मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
- जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है ,
- जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है ,
- जब बड़की भाभी कहती हैं , कुछ सेहत का भी ध्यान करो ,
- क्या लिखते हो दिनभर , कुछ सपनों का भी सम्मान करो ,
- जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं ,
- जब बाबा हमें बुलाते हैं , हम जाते हैं , घबराते हैं ,
- जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
- तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
- जब साड़ी पहने एक लड़की का, एक फोटो लाया जाता है ,
- जब भाभी हमें मनाती हैं , फोटो दिखलाया जाता है ,
- मैं तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता
- तेरी शर्तो पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता
- भले साजिश से गहरे दफ़न मुझ को कर भी दो पर मैं
- स्रजन का बीज हुँ मिटटी में जाया हो नहीं सकता
- कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
- लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
- जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
- तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
- एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
- तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
- ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
- और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
- दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं ,
- उसके दिल में भैया , तेरे जैसे प्यारे जज्बात नहीं ,
- तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
- हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
- अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
- तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
- वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती है ,
- छुप -छुप सारे व्रत करती है , पर मुझसे कभी ना कहती है ,
- कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
- ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
- मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
- मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ
- सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?
- तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
- भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
- इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना,
- मर जाऊँगा!
- बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है ,
- और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है ||
- तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
- तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
- तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
- तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ
- दिलों से दिलों का सफर आसान नहीं होता,
- ठहरे हुए दरिया में तुफान नहीं होता,
- मोहब्बत तो रूह में समा जाती है,
- इसमें शब्दों का कोई काम नहीं होता,
- मैं कवि हूं प्रेम का बांट रहा हूं प्रेम,
- इससे बड़ा कोई काम नहीं होता”
- बतायें क्या हमें किन-किन सहारों ने सताया है
- नदी तो कुछ नहीं बोली, किनारों ने सताया है
- सदा ही शूल मेरी राह से ख़ुद हट गए लेकिन
- मुझे तो हर घडी हर पल बहारों ने सताया है
- तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
- दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
- तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे
- कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
- जब भी आना उतर के वादी में ,
- ज़रा सा चाँद लेते आना तुम “
- मिलते रहिए, कि मिलते रहने से
- मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं.
- हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
- नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
- तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
- समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
- गम में हूँ य़ा हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं
- खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं
- मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं
- मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं”
- तुम अगर नहीं आयी गीत गा न पाउगा
- सांस साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाउगा
- तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है
- बांसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है
- रंग दुनियाने दिखाया है निराला, देखूँ
- है अंधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ
- आईना रख दे मेरे सामने, आखिर मैं भी
- कैसा लगता हूँ तेरा चाहने वाला देखूँ !!
- हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
- मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
- जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
- जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
- तुमने अपने होठों से जब छुई थीं ये पलकें !
- नींद के नसीबों में ख्वा़ब लौट आया था !!
- रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के !
- तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था !!
- प्रथम पद पर वतन न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते
- किसी शव पर कफ़न न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते
- भले सत्ता को कोई भी सलामी दे न दे लेकिन
- शहीदों को नमन न हो तो हम चुप रह नहीं सकते
- इन उम्र से लम्बी सड़को को, मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं,
- बस दोड़ती फिरती रहती हैं, हम ने तो ठहरते देखा नहीं..!!
- वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,
- विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,
- मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,
- तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में
- गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
- हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
- हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
- किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
- उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती
- हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती
- शाएरी को नज़र नहीं मिलती
- मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती
- रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ
- मगर नहीं मिलती
- लोग कहते हैं रूह बिकती है
- मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||
- हर ओर शिवम-सत्यम-सुन्दर ,
- हर दिशा-दिशा मे हर हर है
- जड़-चेतन मे अभिव्यक्त सतत ,
- कंकर-कंकर मे शंकर है…”
- एक दो दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा ,
- हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा ,
- आज जो बांधा है इन में तो बहल जायेंगे ,
- रोज इन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा…!!
- मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
- अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
- तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
- मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
- जो किए ही नहीं कभी मैंने ,
- वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
- मुझसे फिर बात कर रही है वो,
- फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !!
- पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
- जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
- मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
- हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
- मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
- कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
- बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
- जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
- अपनों के अवरोध मिले, हर वक्त रवानी वही रही
- साँसो में तुफानों की रफ़्तार पुरानी वही रही
- लाख सिखाया दुनिया ने, हमको भी कारोबार मगर
- धोखे खाते रहे और मन की नादानी वही रही…!!
- तूफ़ानी लहरें हों
- अम्बर के पहरे हों
- पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों
- सागर के माँझी मत मन को तू हारना
- जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है
- पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है !!
- कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
- अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
- करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
- मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
- राजवंश रूठे तो
- राजमुकुट टूटे तो
- सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो
- आशा मत हार, पार सागर के एक बार
- पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
- पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है
- मैं अपने गीतों और ग़ज़लों से उसे पेगाम करता हु
- उसकी दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ
- हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना
- वो अपना काम करती है, में अपना काम करता हूँ
- नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
- मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
- कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
- सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
- घर भर चाहे छोड़े
- सूरज भी मुँह मोड़े
- विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
- माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
- पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
- जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
- पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है
- हिम्मत ऐ दुआ बढ़ जाती है
- हम चिरागों की इन हवाओ से
- कोई तो जाके बता दे उसको
- दर्द बढ़ता है अब दुआओं से
- मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
- मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
- सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से
- मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है
- सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
- भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
- बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
- जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है
- फिर मेरी याद आ रही होगी
- फिर वो दीपक बुझा रही होगी
- फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो ख़ुद को बैनर बना रही होगी
- अपने बेटे का चूम कर माथा मुझ को टीका लगा रही होगी
- फिर उसी ने उसे छुआ होगा
- फिर उसी से निभा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
- रूह सिलवट हटा रही होगी
- फिर से इक रात कट गई होगी
- फिर से इक रात आ रही होगी||
- सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
- खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
- फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
- फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
- ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो
- कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
- ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
- मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो !!
- स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
- बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
- बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
- अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
- हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
- और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
- मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
- भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
- वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
- उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
- आप में कौन-कौन रहता है
- हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
- चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,
- खुद को पर बेक़रार मत करना ,
- आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?
- हम न कहते थे प्यार मत करना…!!
- उम्मीदों का फटा पैरहन,
- रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
- तुम से मिलने की कोशिश में,
- किस-किस से मिलना पड़ता है
- कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
- गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
- नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
- मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.
- कितनी दुनिया है मुझे ज़िन्दगी देने वाली
- और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है
- खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ
- मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है
- हमें बेहोश कर साकी , पिला भी कुछ नहीं हमको
- कर्म भी कुछ नहीं हमको , सिला भी कुछ नहीं हमको
- मोहब्बत ने दे दिआ है सब , मोहब्बत ने ले लिया है सब
- मिला कुछ भी नहीं हमको , गिला भी कुछ नहीं हमको !!
- आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,
- कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!
- कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,
- इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!
- गाँव-गाँव गाता फिरता हूँ, खुद में मगर बिन गाय हूँ,
- तुमने बाँध लिया होता तो खुद में सिमट गया होता मैं,
- तुमने छोड़ दिया है तो कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!
- कट न पायी किसी से चाल मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!
- मेरे जुम्लूं से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे बोलचाल मेरी…!!
- जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
- हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा
- जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब
- ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा
- हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
- यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !
- वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
- तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!
- मेहफिल-महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है,
- खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
- उनकी आँखों से होकर दिल जाना.
- रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..
- हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूर
- या’नी हम बे-तरह ख़ुदा के हैं
- हम को यारों ने याद भी न रखा
- ‘जौन’ यारों के यार थे हम तो
- हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए हैं
- कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं
- हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए’तिबार किया
- सख़्त बे-ए’तिबार थे हम तो
- हमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का
- सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो
- सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
- अब किसे रात भर जगाती है
- याद उसे इंतिहाई करते हैं
- सो हम उस की बुराई करते हैं