तथ्य स्वयं नहीं बोलते हैं। वे तभी हमें विशिष्ट जानकारी प्रदान करते हैं जब इतिहासकार उनका उचित सन्दर्भ में उल्लेख करते हैं। यह इतिहासकार पर निर्भर करता है कि वह किस तथ्य को प्रस्तुत करे और इस तरह, इतिहासकार ही आवश्यक रूप से चयनकर्ता होते हैं। -- ई. एच. कार्र (EH Carr) के ‘इतिहास क्या है’, अध्याय-१
अतीत के जिस अंश तक प्रमाण की किरणें पहुँच सकती हैं, उसे हम इतिहास की संज्ञा देते हैं। जो जीवन के स्पन्दन से रहित इतिवृत्त मात्र है। जो हमारे तर्क की सीमा के पार घटित हो चुका है वह पुराण की सीमा में आबद्ध होकर जीवन की ऐसी गाथा बन जाता है जिसमें इतिवृत्त का सूत्र खोजना कठिन है। -- महादेवी वर्मा
अनुभव और इतिहास बताता है कि लोगों और सरकारों ने इतिहास से न कभी कुछ सीखा और न इतिहास से निकले नियमों के अनुसार कार्य किया। -- हेगेल (दर्शनशास्त्र का इतिहास, भूमिका)
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है।
इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।— नेपोलियन बोनापार्ट
इतिहास अंक-गणित जीवन चरितों का सार है। -- कार्लाइल
इतिहास अंततः सच्चा काव्य है। -- वासवेल कृत लाइफ आफ जानसन
इतिहास अधिकांशः झूठी और महत्वहीन घटनाओं का लेखा होता हैं जिसको घटित करने वाले अधिकांशत दुष्ट शासक और मूर्ख सैनिक होते हैं।
इतिहास अर्थ है मनुष्य जाति के सम्मुख उपस्थित हुए प्रश्नों का उल्लेख। -- काका कालेलकर
इतिहास अर्थात् अफ़वाह का आसव। -- कार्लाइल
इतिहास उदाहरणों से व्युत्पन्न दर्शन है। -- प्लूटार्क
इतिहास एक उपन्यास है जो घटित हुआ था और उपन्यास, इतिहास है जो घटित हो सकता था। -- एडमंड और जूल्स डि गोनकोर्ट
इतिहास का अध्ययन, यानी अपने पूर्व-जन्मों का निरीक्षण। -- विनोबा
इतिहास का खेल न्यारा है। सदा नये चमत्कार होते रहते है। नये गुल भी खिलते रहते हैं। संभव और असंभव ये दोनों शब्द इतिहास में निरर्थक हैं। -- लाला हरदयाल
इतिहास का प्रयोजन वर्तमान समय और उसके अनुसार कर्तव्य को महत्व देना है। -- एमर्सन
इतिहास का सच्चा कार्य है स्वयं घटनाओं को, परामर्श के साथ प्रस्तुत करना और उन पर अभिमतों व निष्कर्ष को जन-जन के निर्णय की स्वाधीनता व क्षमता पर छोड़ देना।-- बेकन
इतिहास की पुनरावृत्ति होती है,इतिहास की पुनरावृति नही होती है। -- जार्ज मैकाले ट्रेवेलयन
इतिहास के पन्नो में सब कुछ दर्ज है। -- अज्ञात
इतिहास केवल देखना नहीं चिंतन भी है। चिंतन सदैव रचनात्मक होता है, चाहे सर्जनात्मक न भी हो। इसलिए-लेखन सर्जनात्मक क्रिया है। यह इतिहास परक अनुसंधान से भिन्न है। -- डा० राधाकृष्णन
इतिहास केवल महान व्यक्तियों की जीवनगाथा हैं।
इतिहास क्या हैं, केवल सहमति द्वारा निर्मित आख्यायिका।
इतिहास खुद को दोहराता है यही इसकी बुरी कड़ी हैं।
इतिहास ज्ञान की वह शाखा है जिसमें हम मानव जाति से संबंधित पिछली घटनाओं का अध्ययन करते हैं उसे इतिहास कहते हैं। -- अज्ञात
इतिहास तब तक रुचिकर लगता है जब तक वह दृढ़तापूर्वक सत्य रहता हैं।
इतिहास तो एक सिलसिलेवाद मुकम्मित चीज है, और जब तक तुम्हें यह मालूम ने हो कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में क्या हुआ-तुम किसी एक देश का इतिहास समझ ही नहीं सकतीं। -- जवाहरलाल नेहरू
इतिहास निरन्तरता और प्रगति है। -- डा० राधाकृष्णन्
इतिहास पहले त्रासदी की तरह तथा दुसरे रूप में स्वयं को मजाक की तरह दोहराता हैं।
इतिहास मनुष्य को देषकाल में जाड़कर पकड़ना चाहता है। वह सत्य घटनाओं को ढूँढता है। लीला मानवीय जीव की नृत्य व्याख्या प्रस्तुत करती है। -- वासुदेवशरण अग्रवाल
इतिहास मानव के अपराधों, मूर्खताओं तथा दुर्भाग्यों की गणना – पल से अधिक कुछ ही अधिक वस्तु हैं।
इतिहास में विचार की केवल उथली धारा होती हैं।
इतिहास विगत राजनीति है ओर राजनीति वर्तमान इतिहास है। -- सर जाॅन सीले
इतिहास विश्वास की नहीं, विश्लेषण की वस्तु है। इतिहास मनुष्य का अपनी परंपरा में आत्म-विश्लेषण है। -- यशपाल
इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जाता है। -- अज्ञात
इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है। –सी डैरो
इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है।
उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है। — इमर्सन
एक बुद्धिमान व्यक्ति भविष्य से नही इतिहास से ज्ञान प्राप्त करता हैं।
केवल एक स्वतंत्र देश में इतिहास भली भांति लिखा जा सकता हैं।
जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा, जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा, इतिहास कुछ नहीं है- संघर्ष की कहानी, राणा, शिवा, भगतसिंह- झाँसी की वीर रानी, कोई भी कायरों का, इतिहास क्यों पढ़ेगा? जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा। -- गीत संजीवनी
जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है। — जार्ज सन्तायन
जो राष्ट्र अपने इतिहास की गलतियों से सबक नही लेता है उसका हस्र निश्चित हैं।
जो व्यक्ति इतिहास का निर्माण करते हैं, उनके पास इतिहास लिखने के लिए समय नही होता हैं।,
ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले।— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में
तारीख़े और सन् संवत् की सूची बनाने से इतिहास पूर्ण नहीं होता। उसका गौरव कृति में है। देशकाल और पात्रों के समन्वय में कृति करना ही इतिहास है। -- रत्नाकर शास्त्री
तिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। -- नेपोलियन बोनापार्ट
तिहास खुद को दोहराता है, पहले एक त्रासदी की तरह, दुसरे एक मज़ाक की तरह । -- कार्ल मार्क्स
पुराने विवादों और संघर्षों की स्मृति को अपने हृदय में चिरस्थायी रखने की दृष्टि से इतिहास का अध्ययन नहीं किया जाना चाहिए और न ही आज भी ‘मातृभूमि’ और ‘खुदा’ के नाम पर रक्तपात किया जाना ही सही है। इतिहास का कार्य तो उन मौलिक कारणों की खोज करना है, जो झगड़े, फसाद एवं रक्तपात् को मिटाकर मानव को मानव से, जो एक परम पिता-परमात्मा की संतान है और एक ही माता वसुंधरा की पावन गोदी में खेले है, पले है, मिला दे ओर अंततः इस धराधाम पर सपर्वभौम मानवीय प्रजातंत्र की स्थापना का स्वप्न साकार हो सके। -- विनायक दामोदर सावरकर
मानव जाति के सबसे आनंद के काल इतिहास के कोरे पृष्ठ है। -- लियोपाल्ड फान रैके
मूल्यों की स्थापना का यह इतिहास ही यथार्थ में मानव जाति का इतिहास है। इतिहास कुछ भी नहीं करता। उसके पास आपार धन नहीं होता, वो लड़ियाँ नहीं लड़ता। वो तो मनुष्य हैं, वास्तविक, जीवित, जो ये सब करते हैं । -- कार्ल मार्क्स
यथार्थ में इतिहास कुछ नहीं है, केवल जीवन-चरित्र है। -- एमर्सन
लेखक इतिहास के किसी आन्दोलन को शायद बहुत अच्छी तरह से बता सकता है, लेकिन निश्चित रूप से वह इसे बना नहीं सकता । -- कार्ल मार्क्स
वर्तमान को मूल्य एवं कर्तव्य देना- इतिहास का उपयोग हैं।
वर्तमान भारत का इतिहास भी यथार्थ में विविध संस्कृतियों के संघर्षों एवं संग्रहों का इतिहास है। -- लक्ष्मणशास्त्री जोशी
विश्व का इतिहास विश्व का न्यायालय है। -- शेलिंग
संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है। — एच जी वेल्स
संपूर्ण इतिहास असफुट बाइबिल है। -- कार्लाइल
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है – वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया। — एस डीकैम्प
हम इतिहास से ही सीखते है इतिहास हमसे कुछ नही।
हमारे घरों में प्रतिदिन इन तीर्थो की कथाएँ और चर्चाए कुछ योंही नहीं आ गयी हैं, उनमें इतिहास की सत्यता है। जिस पर विश्व का इतिहास खड़ा है। लोग भारतीयों को रूढ़ि के घेरे में बंद कहते हैं, किंतु सत्य यह है कि हमारे इतिहास को विदेशियों ने भ्रांति के एक घेरे में परिवेष्टित कर दिया है। इस घेरे की रूढ़ियों को तोड़ा और तब देखो, इतिहास के क्षितिज पर कौन प्रकाशमान है ? -- रत्नाकर शास्त्री
हिस्ट्री में कभी भी विचार विनिमय से ठोस परिवर्तन नही निकला हैं।