जहाँ उत्साह है, आरम्भ (पहल) है, और आलस्य नहीं है, नय (नीति) और पराक्रम का समुचित समन्वय है, वहाँ से लक्ष्मी कहीं और नहीं जाती, यह निश्चित है।
शुभस्य शीघ्रम् (शुभ कार्य शीघ्रातशीघ्र आरम्भ करना चाहिये।)
दीर्घसूत्री विनश्यति । (जो कार्य को आरम्भ करने में आलस्य करते हैं, उनका विनाश होता है।)
छोटा आरम्भ करो, शीघ्र आरम्भ करो।
शुभारम्भ हुआ, समझो आधा काम हो गया।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है। -- चीनी कहावत
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) -- रघुवंश महाकाव्यम्
प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः
प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्याः ।
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः
प्रारभ्य तूत्त्मजना न परित्यजन्ति ॥ -- मुद्राराक्षस तथा पञ्चतन्त्र (काकोलुकीयम्)
नीच लोग विघ्न के भय से कोई कार्य नहीं करते ; मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ करके विघ्न पड़ने पर बीच में में ही छोड़ देते हैं ; परन्तु उत्तम लोग बार-बार विघ्न पड़ने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को बीच में नहीं छोड़ते।
प्रेरणा किसी कार्य आरम्भ करने में सहायता करती है और आदत उस कार्य को जारी रखने में सहायता करती है। -- विनोबा भावे
बुद्धि का पहला लक्षण है काम आरम्भ न करो और अगर शुरू कर दिया है तो उसे पूरा करके ही छोड़ो। -- विनोबा भावे
निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । -- दसकुमारचरित
आरम्भ करने के लिए आपको महान होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आपको महान बनने के लिए आरम्भ करना होगा। -- लेस ब्राउन
जीवन की सबसे बड़ी क्षति मृत्यु नहीं है। सबसे बड़ी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है। -- नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है। -- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये। निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं। -- गोथे
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता।