चाणक्य

प्राचीन भारतीय दार्शनिक और बहुश्रुत
(अर्थशास्त्र (ग्रन्थ) से अनुप्रेषित)
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चाणक्य (अनुमानतः ईसापूर्व 375 - ईसापूर्व 283) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।

एक कलाकार की धारणा में चाणक्य

उक्तियाँ

सम्पादन
  • व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है।
  • अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए।
  • शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पता है। शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है।
  • कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।
  • किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।
  • सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नींद से नहीं उठाना चाहिए।
  • इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये।
  • जैसे ही भय आपके करीब आये, उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये।
  • कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा। और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें।
  • जब तक आपका शरीर स्वस्थ्य और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे?
  • पहले पाच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये। अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये। जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यव्हार करिए। आपके व्यस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं।
  • हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं
  • हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो। यह कड़वा सच है

  • व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है। वह अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है।
  • समय को पहचानना ही मनुष्य के सीखने की सर्वोत्तम कला मानी गई है।
  • फूलों की सुगंध केवल हवा की दिशा में फैलती है, लेकिन एक इंसान की अच्छाई चारों दिशाओं में फैलती है।
  • ऋण, शत्रु और रोग को समाप्त कर देना चाहिए।
  • एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते हैं।
  • भगवान मूर्तियों में नहीं है, आपकी अनुभूति आपका इश्वर है, आत्मा आपका मंदिर है।
  • अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए।
  • कुशलता का ज्ञान प्राप्त कर श्रेय की प्राप्ति कर सकता है।
  • दूसरों की गलतियों से भी सीख लेनी चाहिए, क्योंकि अपने ही ऊपर प्रयोग करने पर तुम्हारी आयु कम पड़ जाएगी।
  • आपका हमेशा खुश रहना आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है।
  • लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।
  • यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।
  • सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
  • भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है।
  • किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु का साथ न करें।
  • सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
  • जो जिस कार्ये में कुशल हो, उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।
  • शक्तिशाली शत्रु को कमजोर समझकर ही उस पर आक्रमण करें।
  • धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।
  • आग में आग नहीं डालनी चाहिए अर्थात् क्रोधी व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं दिलाना चाहिए।
  • शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।
  • यदि खुद कुबेर भी अपनी आय से अधिक खर्च करने लगे तो वह एक दिन निर्धन हो जायेगा।
  • मूर्खों से अपनी तारीफ सुनने से अच्छा है कि आप किसी बुद्धिमान की डांट सुनें।
  • भविष्य के अन्धकार में छिपे कार्य के लिए श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक के समान प्रकाश देने वाली है।
  • पडोसी राज्यों से सन्धियां तथा पारस्परिक व्यवहार का आदान-प्रदान और संबंध विच्छेद आदि का निर्वाह मंत्रिमंडल करता है।
  • कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है।
  • व्यक्ति को उट-पटांग अथवा गवार वेशभूषा धारण नहीं करनी चाहिए।
  • शराबी व्यक्ति का कोई कार्य पूरा नहीं होता है।
  • बिना उपाय के किए गए कार्य प्रयत्न करने पर भी बचाए नहीं जा सकते, नष्ट हो जाते है।
  • वेश्याएं निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक दुर्बलों की संगती में नहीं रहते, और पक्षी उस पेड़ पर घोंसला नहीं बनाते जिसपे फल ना हों।
  • अपमानित होके जीने से अच्छा मरना है। मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है।
  • दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है।
  • अपने बच्चों को पहले पाँच साल तक खूब प्यार करो, छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो, सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो। आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।
  • हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो। यह कड़वा सच है।